Mirza Ghalib Shayari In Hindi: हेलो दोस्तों, दिल से दुआ है कि आप सभी खुश, स्वस्थ और सकुशल हों, (ShayariHeart) में आपका स्वागत है,अगर आप (Mirza Ghalib Shayari in Hindi) की तलाश में है, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए है, मिर्ज़ा ग़ालिब की मोहब्बत भरी शायरी में वो जादू है, जो दिल को छूकर रूह में उतर जाती है। उनके अल्फ़ाज़ इश्क़ की गहराई और जज़्बात की सच्चाई को बयान करते हैं। ग़ालिब का इश्क़ सिर्फ़ चाहत नहीं, बल्कि एक एहसास है, जिसमें दर्द भी है और मिठास भी। उनकी शेरो-शायरी में हर आशिक़ अपनी कहानी देख लेता है, और हर मोहब्बत करने वाला अपने जज़्बात महसूस कर लेता है। ग़ालिब का कहना है कि इश्क़ वो दरिया है, जिसमें डूबकर ही उसका असली रंग नज़र आता है, और यही उसकी खूबसूरती है। अगर आप चाहो तो आप अपने Facebook , Instagram & WhatsApp पर भी शेयर कर सकते हैं।
Mirza Ghalib Shayari In Hindi

गुनाह करके कहाँ जाओगे ग़ालिब
ये ज़मी ये आसमां सब उसी का है

कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल को खुश रखने को “ग़ालिब”
ये ख़याल अच्छा है।

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।

हज़ारों वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।

करने गए थे उनसे तगाफुल का हम गिला,
की एक ही निगाह कि हम ख़ाक हो गए।

वो आए घर में हमारे ख़ुदा की कुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं

तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है..!
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी हिंदी में

इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे ।।

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है…

गुनाह करके कहाँ जाओगे ग़ालिब
ये ज़मी ये आसमां सब उसी का है।।

तुम न आए तो क्या सहर न हुई
हाँ मगर चैन से बसर न हुई
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई

रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं काइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू
क्या है

ज़रूरी नहीं मोहब्बत में रोज़ बातें हो,
ख़ामोशी से उसके मैसेज का इंतज़ार
करना भी तो इश्क़ है..

मोहब्बत है तुमसे इसलिए खूबसूरत लगती हो,
खूबसूरत हो इसलिए मोहब्बत नहीं है।

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का,
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम
निकले ।।
हमें पूरी उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा साझा की गई मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी बेहद पसंद आई होगी। अगर ये शायरी आपके दिल को छू गई है, तो हमें कमेंट में अपनी राय ज़रूर बताएं। साथ ही, आप इन शायरियों को अपने दोस्तों और चाहने वालों के साथ व्हाट्सऐप स्टेटस पर भी शेयर कर सकते हैं, ताकि उनकी शाम भी अदब और एहसास से भर जाए।
See Also:
Love Shayari
Sad Shayari
Attitude Shayari
Life Shayari
Dosti Shayari