Kumar Vishwas Shayari

Kumar Vishwas Shayari: कुमार विश्वास जी हिंदी के जाने-माने कवि और शायर हैं। उनकी शायरी में प्यार, भावना और जीवन की सच्चाइयों का सुंदर मेल देखने को मिलता है। उनकी प्रसिद्ध कविताएँ जैसे “कोई दीवाना कहता है” लोगों के दिलों को छू जाती हैं। उनके शब्द प्रेरणा देते हैं और सोचने पर मजबूर करते हैं।

Kumar Vishwas Shayari

Kumar Vishwas Shayari Love

उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे,
वह मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे,
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
यह मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे…!

Kumar vishwas shayari Lyrics

मै तुझसे दूर कैसा हूँ,
तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है,
या मेरा दिल समझता है..!

Motivational kumar vishwas shayari

जो किए ही नहीं कभी मैंने,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं..
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों मे आ रहा हूँ मैं..!

Kumar vishwas shayari

छू गया जब कभी खयाल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा..
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया था घर में,
और घर देर तक महकता रहा…!

Motivational kumar vishwas shayari

मैं ज़माने की ठोकर ही खाता रहूँ,
तुम ज़माने की ठोकर लगाती रही,
जिंदगी के कमल पर गिरुँ ओस-सा,
रोष की धूप बन तुम सुखाती रही…!

Kumar Vishwas Shayari Love

शोर के बीच ये मेरी चुप्पी,
सुनके मैं ख़ुद ही चौंक जाता हूँ..
सच तो होता नहीं बर्दाश्त तुम्हें,
झूठ मैं बोल नहीं पाता हूँ…!

Kumar vishwas shayari Lyrics

मेरे ख्वाबों मे जो तैरती थी,
अप्सरा तू वही हूबहू है,
एक मैं हूं यहाँ एक तू है…!

Kumar Vishwas shayari Koi Deewana Kehta hai Lyrics

ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में,
पर लोग कहते हैं काफिला हूँ,
मैं ऐ मुहब्बत तेरी अदालत में एक
शिकवा हूँ, एक गिला हूँ मैं..!

Kumar Vishwas Shayari Love

कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ,
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ,
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो,
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ.!

Motivational kumar vishwas shayari

प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाए,
ओढ़नी इस तरह उलझे कि कफ़न हो जाए..!

Motivational Kumar Vishwas Shayari

कोई दीवाना कहता है,
कोई पागल समझाता है,
हर धरती की बेचैनी को
बस बादल समझता है…!

उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे,
वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे..!

जब भी मुँह ढंक लेता हूँ,
तेरे जुल्फों की छाँव में,
कितने गीत उतर आते हैं,
मेरे मन के गाँव में…!

जब से मिला है साथ मुझे आप का हुजूर..
सब ख़्वाब ज़िंदगी के हमारे सँवर गए…!

फिर मिरी याद आ रही होगी,
फिर वो दीपक बुझा रही होगी…!

चारों तरफ़ बिखर गईं साँसों की खुशबुएँ,
राह-ए-वफ़ा में आप जहाँ भी जिधर गए.!

जिंदगी से लड़ा हूँ तुम्हारे बिना,
हाशिए पर पड़ा हूँ तुम्हारे बिना,
तुम गई छोड़कर, जिस जगह मोड़ पर,
मैं वहीं पर खड़ा हूँ तुम्हारे बिना…!

दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए,
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए..!

इस अधूरी जवानी का क्या फ़ायदा,
बिन कथानक कहानी का क्या फ़ायदा,
जिसमें धुलकर नज़र भी न पावन बनी
आंख में ऐसे पानी का क्या फ़ायदा।

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