
Imran Pratapgarhi Shayari: इमरान प्रतापगढ़ी एक प्रसिद्ध शायर हैं, जिनकी शायरी भावनाओं और ताकतवर अल्फाज़ों के लिए जानी जाती है। उनके शब्द प्यार, दर्द और सच्चाई को दिल से बयां करते हैं और जिंदगी की हकीकत को खूबसूरती से दर्शाते हैं।
Imran Pratapgarhi Shayari

हमने उसके जिस्म को फूलों की वादी कह दिया,
इस जरा सी बात पर हमको फसादी कह दिया,
हमने अख़बर बनकर जोधा से मोहब्बत की,
मगर सिरफिरे लोगों ने हमको लव जिहादी कह दिया।
अब ना मैं हूँ ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
जिन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे ।
उसी जगह पर जहाँ कई रास्ते मिलेंगे,
पलट के आए तो सबसे पहले तुझे मिलेंगे।
अगर कभी तेरे नाम पर जंग हो गई तो,
हम ऐसे बुजदिल भी पहली सफ़ में खड़े मिलेंगे।

राह में ख़तरे भी हैं, लेकिन ठहरता कौन है,
मौत कल आती है, आज आ जाये डरता कौन है,
तेरी लश्कर के मुक़ाबिल मैं अकेला हूँ मगर,
फ़ैसला मैदान में होगा कि मरता कौन है।
हाथों की लकीरें पढ कर रो देता है,
दिल सब कुछ तो है,
मगर एक तेरा नाम क्यूँ नहीं है।
मेरे खुलूस की गहराई से नहीं मिलते,
ये झूठे लोग हैं सच्चाई से नहीं मिलते,
मोहब्बतों का सबक दे रहे हैं दुनिया
को जो ईद अपने सगे भाई से नहीं मिलते.!
इमरान प्रतापगढ़ी शायरी रेख़्ता

अपनी सांसो में आबाद रखना मुझे,
में रहू ना रहू याद रखना मुझे।
अपनी मोहब्बत का यो बस एक ही उसूल है,
तू कुबूल है और तेरा सबकुछ कुबूल है।
मोहब्बत के सभी मंजर बड़े खाली से लगते हैं,
अख़ीदत से कहे अल्फाज़ भी झाली से लगती हैं,
वो रोहित बेमूला की मौत पर आंसू बहाता है,
मगर उस शाख के आंसू भी
घड़ियाल (मगर मच) से लगते हैं।

हमने सीखा है ये रसूलों से,
जंग लड़ना सदा उसूलों से,
नफरतों वाली गालियाँ तुम दो,
हम तो देंगे ज़वाब फूलों से।
ज़माने पर भरोसा करने वालों,
भरोसे का ज़माना जा रहा है,
तेरे चेहरे में ऐसा क्या है आख़िर,
जिसे बरसों से देखा जा रहा है।
इस तरह हौसले आज़माया करो,
मुश्किलें देखकर मुस्कुराया करो,
दो निवाले भले कम ही खाया करो,
अपने बच्चों को लेकिन पढ़ाया करो..!