Allama Iqbal Shayari

Allama Iqbal Shayari

Allama Iqbal Shayari: अल्लामा इक़बाल की शायरी ज्ञान, प्रेरणा और गहराई से भरी हुई है। उनके शब्द हमें बड़े सपने देखने और मेहनत करने की प्रेरणा देते हैं। उनकी शायरी दिल को छूती है, आत्मा को जगाती है और आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरित करती है।

Allama Iqbal Shayari

Allama iqbal shayari in hindi lyrics

माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं
मैं, तू मेरा शौक देख मेरा इंतजार देख

Allama iqbal shayari

अमल से जिंदगी बनती है
जन्नत भी जहन्नम भी, ये खाकी
अपनी फितरत में न नूरी है न नारी है.!

Allama Iqbal shayari in hindi

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ यहाँ
सैकड़ों कारवाँ और भी हैं

Allama iqbal shayari in hindi love

अस्थिर है ये जिंदगी के लम्हे
खो दे गया हूँ मैं अपनी ज़मीं पर
उठ जाती हैं हर इक धड़कन के साथ
मेरे अंदर बसा इश्क़ की रौशनी पर।

Allama Iqbal shayari in hindi

तिरे सीने में दम है दिल नहीं है
तिरा दिल गर्मी-ए-महफ़िल नहीं है
गुज़र जा अक्ल से आगे कि ये नूर
चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है

Allama Iqbal shayari in hindi

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
ये जन्नत मुबारक रहे जाहिदों को कि
मैं आप का सामना चाहता हूँ

Allama iqbal shayari in hindi love

तेरी दुआ से कज़ा तो बदल नहीं सकती
मगर है इस से यह मुमकिन की तू बदल जाये
तेरी दुआ है की हो तेरी आरज़ू पूरी
मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाये

Allama iqbal shayari in hindi lyrics

ज़लाम-ए-बहर में खो कर सँभल जा
तड़प जा पेच खा-खा कर बदल जा
नहीं साहिल तिरी किस्मत में ऐ मौज
उभर कर जिस तरफ चाहे निकल जा

अल्लामा शायर की शायरी हिंदी में

दीप ऐसे बुझे फिर जले ही
नहीं जख्म इतने मिले फिर
सिले भी नहीं व्यर्थ किस्मत पे
रोने से क्या फायदा सोच लेना
कि हम तुम मिले भी नहीं।

अपने मन में डूब कर पा जा
सूरत-ए-जिंदगी तू अगर मेरा
नहीं बनता ना बन, अपना तो बन

कोई इबादत की चाह में रोया,
कोई इबादत की राह में रोया,
अजीब है ये नमाज-ए-मोहब्बत के
सिलसिले इकबाल, कोई कजा कर के
रोया, कोई अदा कर के रोया

ख़िरद-मंदों से क्या पूछें कि मेरी इब्तिदा क्या है।
कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से
पहले ख़ुदा बढ़े से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है।

अभी शीसा हूँ तो
सबकी आँखों में चुभता हूँ
जब आईना बनूँगा तो
सारा जहाँ देखेगा

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा…।

Imran Pratapgarhi Shayari >>


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